
4 वर्षों में 12 लाख से भी अधिक लोगों के लिए संजीवनी बनी 108 691 गर्भवती महिलाओं का भी हुआ संजीवनी एम्बुलेंस में सुरक्षित प्रसव घायलों को मिल रही है बेहतर और त्वरित आपातकालीन निशुल्क सेवा का लाभ
वनांचल क्षेत्र रहने वाले परिवारों के लिए संजीवनी एक्सप्रेस सेवा किसी वरदान से कम नही है यह बात एक बार फिर साबित हो गया। संजीवनी कर्मी दर्द से कराह रही महिला को देर रात अस्पताल ले आए, लेकिन डॉक्टरों ने उसे रेफर गंभीर होने पर रेफर कर दिया उसे अस्पताल पहुंचाया जाता, इससे पहले प्रसव पीड़ा तेज हो गया। इस विपरीत परिस्थिति में चालक व ईएमटी ने सूझबूझ से काम लेते हुए सुरक्षित प्रसव करा दिया, जिससे एम्बुलेंस शिशु की किलकारी से गूंज उठी। दरअसल जिले के सरहदी क्षेत्र में पसान थानांतर्गत ग्राम लोकड़हा में राजेश कुमार परिवार सहित निवास करता है। उसकी 33 वर्षीय पत्नी सुनीता गर्भवती थी। उसे गुरुवार की देर शाम प्रसव पीड़ा शुरू हो गया। उसका घर में ही प्रसव करा पाना संभव नही था। ऐसे में राजेश ने अपनी पत्नी को अस्पताल ले जाने 108 डॉयल कर सूचना दी। कंट्रोल रूम से इवेंट मिलते ही पायलट कलेश्वर मेरसा ईएमटी हीरालाल सूर्यवंशी के साथ गांव जा पहुंचे। वे गर्भवती महिला को संजीवनी एक्स्प्रेस में बिठाकर पसान स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले आए जहां डॉक्टरों ने गर्भवती महिला का परिक्षण किया तो उसका बीपी लो होने की जानकारी सामने आई। इस परिस्थिति में प्रसव कराना बिना पर्याप्त संसाधन संभव नहीं था, लिहाजा डॉक्टरों ने गर्भवती महिला को रेफर कर दिया। संजीवनी कर्मी उसे लेकर जीपीएम जिले के पेंड़ा स्थित जिला अस्पताल जा रहे थे। वे सरहद पर पहुंचे थे। इस बीच महिला को प्रसव पीड़ा तेज हो गया। उसे ज्यादा दूर ले जा पाना संभव नही था। ऐसे में सबसे पहले पायलट ने एम्बुलेंस को जंगल के भीतर ही सुरक्षित स्थान पर खड़े कर दिया। वहीं ईएमटी ने परिजनों से चर्चा उपरांत एम्बुलेंस में ही प्रसव कराने का निर्णय लिया। इसके लिए ईआरसीपी की मदद से डॉक्टर को वस्तुस्थिति से अवगत कराया। उसके निर्देशन में प्रसव की प्रक्रिया शुरू की गई, जिससे थोड़ी ही देर बाद महिला ने एक स्वस्थ शिशु को जन्म दिया। र संजीवनी एक्सप्रेस में किलकारी गूंजने से f परिजनों के खुशी का ठिकाना न रहा। संजीवनी कर्मियों ने सुरक्षित प्रसव कराने के बाद जच्चा बच्चा को पेंड्रा अस्पताल में दाखिल करा दिया।
